प्रफुल्ल का जन्म 14 जनवरी 1996 मैं एक मिडिल क्लॉस फैमिली मैं हुआ प्रफुल्ल कैहते है की उन्हें बड़े होकर MBA करना था इसके लिए उनके घर वालो का उन्हे काफी सपोर्ट रहा । प्रफुल्ल ने MBA करने के लिए CAT ( common entrance test exam) की तयारी 3 साल तक IIM अहमदाबाद मैं की, लेकिन हर बार फेल होते गए ।
जब CAT एग्जाम मैं हर बार फेल हुए तो अपने पापा से कहा की अब मैं पढ़ाई नही करुंगा , मुझे आगे पढ़ना नहीं है। और कुछ दिनों बाद अपने पापा से कहकर घूमने चले गए बेंगलूर , मुंबई गुड़गांव दिल्ली , चेन्नई , और आखिर मैं अहमदाबाद । और अहमदाबाद आते ही वो खुदसेही कहने लगे प्रफुल्ल कब तक गुमाता रहेगा पेट भरने के लिए कुछ तो काम करना पड़ेगा ।
मैकडॉनल्ड मैं स्वीपर की जॉब की
मैकडॉनल्ड जो की एक अमेरिकन फास्ट फूड कंपनी है वाहपार स्वीपर की जॉब के लिए अप्लाई किया । मैकडॉनल्ड मैं स्वीपर की जॉब करने के लिए 37 रु पर अवर पैसे मिलने लगे थे । मैकडॉनल्ड मैं काम करने के दौरान काम करने का अनुभव हसिल किया । कुछ दिनों बाद प्रफुल्ल का प्रमोशन करके वेटर की जॉब दी गई।इसके कारण काम करने का ज्यादा अनुभव मिलने लगा क्यू कि हर दिन नए लोग ,नए चेहरे, न्यू एक्सपीरियंस , नए विचार मिलने लगे ।
चाय का ठेला लगाया
कुछ दिनों तक वेटर जॉब करने के बाद प्रफुल्ल को लगने लगा की मैं अब खुदकी ही बर्गर की शॉप खोलू लेकिन फिर सोचने लगे कि बर्गर तो ये मैकडॉनल्ड वाले पहलेसे ही बेच रहे क्यू ना मै ऐसी चीज बेचू जो इंडिया को कनेक्ट करे पूरे पूरा इंडिया जिसपे हर दिन , सुबह शाम , रात , हंसी खुशी कोई भी कारण हो एक चीज होनी चाहिए जो हो जाय और उस वक्त दिमाग मैं सिर्फ एक ही चीज थी चाय । लेकिन चाय का ठेला लगाने के लिए पैसा चाहिए था और वो नही था।
पैसे कैसे भी करके चाहिए थे इसीलिए अपने पापा से कहा की मुझे एक इंटरनेशल कोर्स करना है ऐसा झूठ बोलकर अपने पापा से 10 हजार रुपए ले लिए । और अपना चाय का ठेला अहमदाबाद रोड के किनारे लगा दिया । 9:00 से 6:00 तक मैकडॉनल्ड मैं काम करते थे । और उसके बाद 7:00 से 11: 00 बजे तक चाय बेचने का काम करते । जब चाय का ठेला लगाया तो पहले दिन चाय पीने के लिए कोई नहीं आया । फिर प्रफुल्ल सोचने लगे अगर कस्टमर मेरे पास चाय पीने नहीं आ रहे है तो क्यों ना मैं कस्टमर के पास चाय लेकर जाऊ , और उनके पास गए और कस्टमर से कहने लगे मैंने यहां चाय का ठेला लगाया है क्या आप मेरी क्या टेस्ट करना चाहेंगे? ऐसा कह कर कस्टमर को फ्री में चाय दीदी ।
अगले दिन प्रफुल्ल की चाय 150 रुपए की बिकी । उसके अगले दिन 600 रुपए का धंधा हुआ उसके बाद 1200,4000,5000 ऐसा चाय का धंधा बढ़ता ही गया और इसी कारण वेटर की जॉब छोड़ दी । इस बीच एक दिन प्रफुल्ल के पिताजी का फोन आया , और उनके पिताजी प्रफुल्ल से कहने लगे तुम अहमदाबाद कोर्स करने गए थे क्या कर रहे हो वहां पर ? प्रफुल्ल ने कहा कुछ नहीं पापा MBA कर रहा हूं एडमिशन एक-दो दिन में हो जाएगा । फिर एक बार अपने पापा से झूठ बोले । प्रफुल्ल कहते है की कभी कभी झूठ बोलना भी अच्छा होता है अगर अपके लाइफ का कैरियर सेट होता है । अपने घर वालो से MBA कर रहा हूं कहने के कारण 1 लोकल MBA कॉलेज में एडमिशन लिया । और 9:00 से 3:00 तक कॉलेज जाने लगे । कॉलेज से आने के बाद अपना चाय का ठेला चलाते । लेकिन कॉलेज में मन नहीं लगता था । इसीलिए कॉलेज 7 वे दिन छोड़ दिया चलती क्लॉस से बाहर आ गए । और खुद से ही कहने लगे कि अब मैं MBA नहीं करूंगा मैं सिर्फ चाय बेचूंगा । और उसके बाद पूरे दिन भर चाय बेचनी शुरु कर दी ।
चाय का ठेला बंद किया
चाय का धंधा काफी अच्छा होने लगा था लेकिन पड़ोसी चाय की दुकानदारों ने प्रफुल्ल का चाय का ठेला वहां पर 2 महीनो से ज्यादा टिकने नहीं दिया वहां से हटा दिया । प्रफुल्ल को कहने लगे थे कि जब से तुम आए हो हमारा चाय का धंधा कम हो गया है तुम्हे यहासे जाना होगा तुम्ह हमसे ज्यादा कमाने लगे हो । प्रफुल्ल का ठेला रोड के किनारे होने के कारण प्रफुल्ल को मजबूरन उनकी बात सुननी पड़ी । चाय का ठेला बंद होने के बाद काफी परेशान रहने लगे प्रफुल्ल को ऐसा लगने लगा कि मेरे से अब यह नहीं होगा । मुझे फिर एक बार MBA की तैयारी करनी चाहिए
चाय की दुकान चालू की
15 से 20 दिनों बाद कस्टमर के प्रफुल्ल को फोन आने लगे फेसबुक, इंस्टाग्राम पर एसएमएस आने लगे और कहने लगे कहां हो? चाय का ठेला क्यों बंद किया ? इसके कारण प्रफुल्ल ने फिर से एक बार अपना चाय का दुकान चालू करने का फैसला लिया। और अमदाबाद के दूसरे एरिया में जाकर चाय की दुकान चालू करने के लिए किराए से दुकान ढूंढने लगे । हॉस्पिटल जाकर डॉक्टर से मिलने लगे । और उनसे हेल्प मागने लगे की मुझे अपकी हॉस्पिटल के बाजू में दुकान शुरू करने दो ताकि कोई मेरी चाय की दुकान हटा ना सके । इसीलिए मैं आपको जो चाहे वह रेंट भी देने के लिए तैयार हूं । और हॉस्पिटल की बाजू में प्रफुल्ल ने 10 हजार रुपए किराए से एक दुकान ली और अपनी चाय की दुकान फिर से चालू की ।
अपना चाय का बिजनेस बढ़ाने के लिए दुकान पर वाइट बोर्ड लगा दिया और लिखा अगर किसी को जॉब चाहिए , काम के लिए एंप्लॉय चाहिए तो अपना नाम और नंबर इस बोर्ड पर लिख दो । ताकि जिसे जॉब चाहिए उसे जॉब मिले और जिसे एंप्लॉय चाहिए उसे एंप्लॉय मिले । इस आईडिया के कारण कई लोगों को जॉब मिली कई लोगों को एंप्लॉय मिले । और तो और कईयों की इस दुकान के माध्यम से शादीया भी हुई । इसके कारण प्रफुल्ल के 7 लोगों का काफी अच्छा रिलेशन बना । और साथ ही उनका चाय का धंधा भी बढ़ने लगा ।
MBA chay vala कैसे पड़ा
चाय का धंधा अच्छे से होने लगा तो लोगों ने कहा कोई दुकान का नाम भी अच्छा सा रख दो ताकि लोग और आने लगे । इसीलिए प्रफुल्ल ने 350 से लेकर 400 तक नामों की लिस्ट बना ली , लेकिन उनमें से 95% नाम किसी ना किसी दुकानदार ने रख लिए थे इसलिए उन्होंने अपने दुकान का नाम mr billore रख दिया । तू लोग उन्हें billore नाम के कारण प्रफुल्ल को bilinear बोलने लगे । उनका मान जो चाहे वह बोलने लगी थे । इसे मैं प्रफुल्ल ने mr billore के आगे Ahmedabad लगा दिया । और इस नाम का शॉर्ट फॉर्म कर दिया Mr . का M , billore का B , our Ahmedabad का A निकला और दुकान का नाम MBA chay vala रख दिया । इस नाम के कारण प्रफुल्ल पर लोग हंसने लगी और कहने लगी कि देखो MBA किया और चाय बेच रहा है, देश की हालत तो देखो , लेकिन लोगो के ऊपर ध्यान नहीं दीया और अपना काम करते रहे । और अपने 24 साल की उम्र तक 4 साल मैं 3 कोटी रुपयों की चाय बेची ।
इवेंट्स मैं मदद की
लोकल इवेंट, म्यूजिकल नाइट ,बुक एक्सचेंज प्रोग्राम सोशल कॉज ब्लड डोनेशन , नेचुरल डिजास्टर , जहां चाहे MBA चाय वाले ने । हर जगह सपोर्ट किया । फिजिकली और फाइनेंशली भी चाय बनाते थे और उस दिन चाय बेचकर जितना भी पैसा इकट्ठा होता था उनको दे देते थे । येसी चाय की दुकान पर उन्होंने 2 साल में 150 से 200 इवेंट किए हैं ।इसके बाद बहुत सारे इवेंट्स हुए NGO हुए पूरी दुनिया में जाकर सोशल कॉज हुए । आज prafull billore की महीने की इनकम 12 लाख से भी ज्यादा है ।
चाय का ठेला रोड पर लगाने से लेकर इंटरनेशनल इवेंट्स तक आज prafull billore पूरी दुनिया में जाकर लोगों के लिए चाय बनाते है ।
8 हजार रुपयों से शुरू किया था और आज करोड़ कमा रहे है जहां एक अकेले ने शुरू किया था , आज उसकी एक 30 से 35 लोगो की टीम हो गई है। प्रफुल्ल का कहना है कि आप जो करो पूरे दिल से करो ।
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