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Mirabai chanu success story

 परिचय

 मीराबाई चानू एक भारतीय वेटलिफ्टिंग गेम्स की एक खिलाड़ी है । इन्होंने हाल ही में भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक 49 किलोग्राम वर्ग वेटलिफ्टिंग में  हिस्सा लेकर भारत के लिए सिल्वर मेडल हासिल किया है । भारत के लिए वेटलिफ्टिंग मैं सिल्वर मेडल हासिल करने वाली प्रथम महिला है । 

उन्होंने अब तक के हुए बहुत से वेटलिफ्टिंग गेम्स ओलंपिक मैं हिस्सा लेकर सिल्वर मेडल , गोल्डन मेडल हासिल किए हैं । जिसके कारण उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। 

बचपन 

 मीराबाई चानू का पूरा नाम साइखोम मीराबाई चानू है । इनका जन्म 8 अगस्त 1994 भारत के मणिपुर , इम्फाल के एक छोटे से गांव में मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था । इनके पिता का नाम साइकोंह कृति मैतेई है । जो कि एक पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट में काम करती थे । और उनकी मां का नाम साइकोंह ऊँगबी तोम्बी लिमा हैं । जो कि एक ग्रहणी होने के साथ-साथ एक दुकान चलाने का काम करती थी । उनके अलावा उन्हें दो भाई और दो बहने है । 

मीराबाई चानू बचपन से ही काफी एक्टिव रही है । उनकी    आर्थिक परिस्थिति अच्छी ना होने के कारण वे अपने भाइयों के साथ पहाड़ के लकड़िया जमा करने के लिए जाया करती थी । वे जब 12 साल की थी तब से लकड़ियां लाने का काम  करना शुरू कर दिया था। 

उनके बचपन के दिनों कुंजारानी देवी की बड़ी चर्चा थी । जो कि एक वेटलिफ्टिंग की भारतीय खिलाड़ी है । जोकि मणिपुर , इम्फाल की ही रहने वाली थी । कुंजारानी  देविका वेटलिफ्टिंग गेम्स देखकर मीराबाई चानू काफी प्रभावित हो गई थी । और उसी वक्त सोच लिया था कि मैं भी एक वेटलिफ्टिंग चैंपियन बनूंगी । 

उन्होंने जब वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी तो उनके पास 35 करने के लिए प्रैक्टिस के साधन ना होने के कारण वह ब्रॉस से प्रैक्टिस किया करती थी । 

ट्रेनिंग क्लास ज्वाइन किया

कुछ दिनों बाद उन्होंने अपने पापा से कह कर 2007 मैं वेटलिफ्टिंग ट्रेनिंग सेंटर में एडमिशन लिया था । जो कि उनके घर से लगभग 50 से 60 किलोमीटर की दूरी पर था । ट्रेनिंग के पहले दिन ही उन्हें समाचार गया था कि वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग करने के लिए व्यायाम (एक्सरसाइज) और  अपने खानपान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है ।  ट्रेनिंग के दौरान उनकी कोच ने उन्हें एक डाइट चार्ट दिया था । फल और  सब्जी  के अलावा हर रोज  दूध चिकन खाना बहुत जरूरी था। उनके घर के हालात इतनी अच्छी नहीं थी कि वे इन सब का खर्च उठा सके । 

रोजाना अपने घर से ट्रेनिंग क्लास तक 50 से 60 किलोमीटर का सफर तय करके आने के बाद सेंटर जाकर 2 घंटे तक व्यायाम (एक्सरसाइज) किया करती और उसके बाद वजन उठाने की प्रैक्टिस किया करती थी । यह सब होने के बाद शाम को जब अपने घर वापस आती तो घर में जो सबके लिए खाना बनाया जाता था वही खाना खाकर सो जाया करती थी ।  

मीराबाई चानू कहती है कि मेरे घर की आर्थिक परिस्थिति इतनी भी अच्छी नहीं थी कि मुझे रोज पीने के लिए एक गिलास दूध मिल सके , या खाने के लिए चिकन मिल सके , लेकिन मैंने तय कर लिया था कि चाहे जो हो जाए  मैं खेल नहीं छोडूंगी वेटलिफ्टिंग में चैंपियन बन के रहूंगी । 

अपनी दिन भर की प्रैक्टिस के कारण वे पढ़ाई में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती थी इसलिए वे पढ़ाई में उनकी उम्र के बच्चों के मुकाबले वे काफी पीछे  थी ।  इसीलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई दसवीं तक पूरी की ।  और बाद में आगे की पढ़ाई छोड़ दी । और अपना पूरा ध्यान प्रैक्टिस की ओर लगाना शुरू कर दिया । 

साउथ एशियन जूनियर गेम मैं हिस्सा लिया

उनकी मेहनत के कारण उन्हें तब कामयाबी मिली जब उन्होंने साउथ एशियन  जूनियर गेम मैं जीत कर गोल्ड मेडल हासिल  किया था । और इसी कारण उन्हें खेल कोटे से  रेलवे खाते में एक अच्छी नौकरी लग गई । नौकरी लगने के कारण  उनके घर के हालात में काफी सुधार आने लगा था । 2013 में मीराबाई चानू ने जूनियर  नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर जीत हासिल की । 

ओलंपिक मैं  हिस्सा लिया

2014 मैं ग्लासगो शहर में आयोजित कॉमन वेट गेम में 48 किलोग्राम वर्ग  मैं हिस्सा लेकर सिल्वर मेडल जीता  । उनकी उम्र मात्र 20 साल थी । 2016 मैं हुई RIO ओलंपिक में उन्होंने हिस्सा लिया लेकिन कामयाब नहीं हो । इस ओलंपिक में वह हार गई थी और अपने  निराशाजनक प्रदर्शन के कारण वह काफी मायूस हो गई थी।  और कुछ दिनों के लिए  डिप्रेशन में चली गई थी  । उन्होंने कई दिनों तक ठीक से खाना तक नहीं खाया था । 

बाद में उन्होंने अपनी प्रैक्टिस दुगनी रफ्तार से करनी शुरू कर दी । खानपान , व्यायाम पर अच्छे से ध्यान दिया । इसके कारण 2017 में हुई वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप 48 किलोग्राम वर्ग मैं हिस्सा लिया और भारत के लिए गोल्ड मेडल हासिल किया । 

इसके अलावा मीराबाई चानू ने 2018 में हुए कॉमन वेट गेम्स 48 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लेकर उस में गोल्ड मेडल हासिल करके इंडिया को पहला गोल्ड मेडल दिलवाया । इस कॉमन वेट गेम्स में उन्होंने अपना नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा था । जिसके कारण उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था । 

 2021 मैं हुई टोक्यो ओलंपिक 49 किलोग्राम वर्ग वेटलिफ्टिंग में 202 किलो वजन उठाकर भारत के लिए सिल्वर मेडल हासिल किया और इसके साथ भारत के लिए वेटलिफ्टिंग मैं सिल्वर मेडल हासिल करने वाली प्रथम महिला बनी है । 

मीराबाई चानू की कोच 

 वेटलिफ्टिंग गेम्स की मीराबाई चानू की कोच कुंजारानी देवी है । जो कि खुद भी वेटलिफ्टिंग गेम्स की भारतीय खिलाड़ी रह चुकी है । कुंजारानी देवी भी इम्फाल मणिपुर की ही रहने वाली है । आपको यह बात बता दी कि उनके खेल से प्रभावित होकर ही मीराबाई चानू वेटलिफ्टिंग गेम्स की ओर आकर्षित हुई थी । 

     

    

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