परिचय
एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे परेश रावल बचपन से ही एक्टिंग की तो काफी आकर्षित थे । हिंदी गुजराती तेलुगू अंग्रेजी और मराठी फिल्मों में अपना किरदार निभा चुके हैं ।
परेश रावल फिल्मों में खलनायक ,हास्य कलाकार आदि के रूप में अपना किरदार निभा चुके हैं । जिसके कारण उन्हें अब तक कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं । उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया है । उन्होंने फिल्म करियर के साथ-साथ राजनीति में भी अपना करियर बनाया है ।
बचपन
30 मई 1950 भारत के मुंबई शहर में एक मध्यवर्गीय परिवार में परेश रावल का जन्म हुआ । उनके पिता का नाम दयालाल रावल है ।और वे एक जगह पर काम किया करते थे । और आगे चलकर उन्होंने आपको ना खुद का एक स्टील रीड का बिजनेस शुरू किया था । उनकी माता का नाम धनलक्ष्मी है । और वह गृहणी थी। उनके अलावा उन्हें एक छोटा भाई और 2 बहने है । एक छोटी और एक बड़ी ।
अभिनय करने का कैसे शौक लगा ?
परेश रावल की उम्र 12 से 13 साल की रही होगी तब उनके घर के बगल के ग्राउंड पे एक ओपन ड्रामा कंपटीशन थी । यह कॉन्पिटिशन उनके घर के बगल में रहने के कारण उन्हें और उनके परिवार वालों को रात के एक से दो बजे तक ड्रामा कंपटीशन के डायलॉग सुनाई पढ़ते थे
वे कहते हैं कि मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं ड्रामा देख सकूं इसलिए मैं ड्रामा देखने के लिए चोरी-छिपे जाता था । लेकिन एक समय ऐसा हुआ कि मैं चोरी-छिपे जाते वक्त मुझे पकड़ लिया , लेकिन ग्राउंड के मालिक अच्छे थे इसलिए मुझे उन्होंने छोड़ दिया । और ड्रामा देखने की परमिशन दे दी ।
उसी ड्रामा के कारण उनका अभिनय के प्रति अट्रैक्शन बढ़ गया । और तभी से उन्हें अभिनय करने का शौक लग गया ।
ड्रामा प्ले किया परेश रावल के परिवार वालों का कहना था कि वे पढ़ लिख कर कुछ अच्छा करें । इसीलिए उन्होंने परेश रावल को स्कूल में भेजा । वे जब स्कूल में थे तब उन्होंने अपनी इंटर स्कूल ऑफ ड्रामा कंपटीशन में , राजा ने गमती रानी , जो कि एक गुजराती ड्रामा था । उसमें उन्होंने हिस्सा लिया था । डिस्प्ले में उनका मेन रोल था ।
यह उनके जीवन का पहला ड्रामा प्ले था । इसके बाद उन्होंने कई सारे ड्रामा कॉन्पिटिशन में हिस्सा औरअपना महत्वपूर्ण रोल निभाया । उन्होंने गुजराती ड्रामा प्ले के साथ-साथ हिंदी ड्रामा प्ले भी किए ।
अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मुंबई के यह नियम महाविद्यालय में अपना एडमिशन लिया और अपनी B.Com तक की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद आगे की पढ़ाई छोड़ दी।
परेश रावल बताते हैं कि, मैं जब कॉलेज में था तब कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ यू आर कोहली और मेरे दोस्तों ने मुझे ड्रामा प्ले के लिए काफी मदद की । कॉलेज में मैं सिर्फ ड्रामा प्ले करता था । ड्रामा प्ले के लिए मेरे पीसी पलने मुझे कॉलेज के कैंटीन में और होस्टल मैं खाता खोल दिया था । जिसके कारण मैं वहां पर खा पी सकता था वहां पर रह सकता था ।
उस वक्त मैंने अपने दोस्तों के साथ थिएटर करना शुरू कर दिया और थिएटर करते-करते ही मैंने अपनी B.com तक की पढ़ाई पूरी कर ली ।
प्रोफेशनल थिएटर किए ।
कॉलेज छोड़ने के बाद 1972 में उन्होंने प्रोफेशनल थिएटर करने शुरू कर दिए इंडियन नेशनल थियेटर मैं शो किया । आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने कभी-भी एक्टिंग की फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं ली। ना ही वह किसी ड्रामा स्कूल में एक्टिंग सीखने के लिए गए । उन्होंने खुद ही अपने ट्रायल एंड एरर मेथड से एक्टिंग सीख ली ।
फिल्मों में करियर
परेश रावल ने अपने अभिनय की शुरुआत 1984 में आई होली फिल्म से की , इस फिल्म में उन्होंने एक सहायक का किरदार निभाया था । उसके बाद 1985 में आई फिल्म अर्जुन में उन्होंने सहायक की भूमिका निभाई । यह फिल्म 1986 की ब्लॉकबस्टर फिल्म रही थी । उन्होंने 1980 से 1990 के दशक मैं 100 से अधिक फिल्में की जिसमे ज्यादातर खलनायक की भूमिका में दिखाई दिए थे ।
1990 मैं आई कॉमेडी फिल्म अंदाज़ अपना अपना मैं उन्होंने दोहरी (डबल रोल )भूमिका निभाई थी । 1993 मैं आई फिल्म सर मैं उन्होंने खलनायक का रोल निभाया जिसके कारण उन्हें सर्वश्रेष्ठ खलनायक के रूप में फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
2000 मैं मैं आई कॉमेडी फिल्म हेरा फेरी में उन्होंने हास्य कलाकार का रोल निभाया जिसके कारण उनका नाम घर-घर में लोकप्रिय हो गया । इस इस फिल्म के लिए उन्हें 2001 मैं सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था । 2014 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था
राजनीतिक करियर
2014 में परेश रावल ने लोकसभा चुनाव बीजेपी ज्वाइन किया औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की तरफ से सदस्य बने ।
परिवार
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