सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

success story of p.v sindhu

परिचय 

पी.वी सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है । पुसरला इनका सरनेम है । हिंदू 21वीं सदी की सबसे प्रसिद्ध भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी है और ये  बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल और ओलपिक सिल्वर मेडल जीतने वाली भारतीय पहली महिला है । साथ वर्तमान के रैंक में इनका नाम 7 वे स्थान पर आता है । 

इन्होंने जापान में चल रहे टोक्यो ओलंपिक 2020 में ब्रोंज मेडल हासिल किया है। रियो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद उनकी कास्ट को सबसे ज्यादा गूगल पर सर्च किया गया था । इन्हें अब तक ही अवार्ड  और पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। 


परिवार / बचपन

पी.वी सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 भारत में आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में हुआ । इनके पिता का नाम पी.वी रामन और मां का नाम पी . विजया है । इनके माता-पिता दोनों ही नेशनल लेवल के वॉलीबॉल के खिलाड़ी रह चुके हैं । इनके पिता भारतीय वॉलीबॉल टीम के सदस्य थे और उन्होंने अपने शानदार खेल से 1986 मैं सिओल एशियन खेल में ब्रोंज मेडल हासिल किया था । खेलों में अपना योगदान देने के लिए उन्हें भारत सरकार ने 2002 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था । 

 माता-पिता के अलावा इन्हें एक बड़ी बहन भी है जिनका नाम पी.वी दिव्या है और ये वर्तमान समय में एक डॉक्टर है । साथ ही यह राष्ट्रीय स्तर की हैंडबॉल प्लेयर भी रह चुकी है । इनके परिवार में हर कोई खेल से जुड़ा हुआ था इसलिए इनका भी मन खेल की तरफ आकर्षित होने लगा था । वे जब 8 साल की थी तभी से उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था । 

शिक्षा  

 पी.वी सिंधु ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सिकंदराबाद के एक्सिलम हाई स्कूल से पूरी की और इसके बाद अपनी आगे की पढ़ाई मेहदीपत्नम के s.t anns college for women से MBA की डिग्री हासिल की  है । 

पुलेला गोपीचंद एकॉडमी मैं शामिल हुई 

सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल इंजीनियरिंग एंड टेलीकम्युनिकेशन में महबूब अली की देखरेख में पी.वी सिंधु ने खेल की बारीकियां सीखी । और उसके बाद पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गई । जहां पर उनके कोच पुलेला गोपीचंद थे जो कि खुद 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीते थे । और वह हैदराबाद के ही रहने वाले  थे । दरअसल इनके खेल से प्रभावित होकर ही पी.वी सिंधु बैडमिंटन खेल की ओर आकर्षित हुई थी । 

 पीवी सिंधु के घर से अकादमी 56 किलोमीटर की दूरी पर थी । लेकिन फिर भी वह सुबह 4 बजे उठकर तैयार होकर खेल की प्रैक्टिस के लिए अकादमी में जल्दी पहुंच जाया करती थी । इस अकादमी में रोते हुए उन्होंने कही  सारे टाइटल जीते सात ही अखिल भारतीय रैंकिंग चैंपियनशिप और सब जूनियर नेशनल जैसे जूनियर बैडमिंटन किताब भी जीते । 

इंटरनेशनल स्तर पर पहुंची पी.वी सिंधु 

पीवी सिंधु ने 2009 में कोलंबो में होने वाले बैडमिंटन चैंपियनशिप में ब्रोंज मेडल हासिल किया था । यह उनके करियर का पहला इंटरनेशनल मैच था । इसके बाद उन्होंने 2010 में ईरान फर्ज इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में सिंगल कोटेगरी  में सिल्वर मेडल जीता । और 2012 में  लिनिंग सिटिना मास्टर्स सुपर सीरीज प्रतियोगिता में लंदन में ,चाइना की ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट  लिक्सुएरू को हराया । 2013 में पीवी सिंधु ने चाइनीस खिलाड़ी वांग शिरीरियम को वर्ल्ड चैंपियनशिप में हराया और भारत की मेडल जीतने वाली पहली महिला बनी । 

 2014 में पी.वी सिंधु को ndtv , इंडियन ऑफ द ईयर से नामित किया गया । और 30 मार्च 2015 को भारत का चौथा नागरिक तत्व का पद्मश्री अवार्ड से भारत सरकार ने उन्हें  सम्मानित किया था । इसके अलावा उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से भी  सम्मानित किया गया ।  18 अगस्त 2016 में पीवी सिंधु ने 2016 के रोम ओलंपिक में जापान की नोजमियोकुहारा को वुमन सिंगल में हराया और रियो ओलंपिक के फाइनल में प्रवेश किया सात ही ओलंपिक में पहुंचने वाली भारत की पहली shutter बनी । 

पी.वी सिंधु ने  2016 में रियो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीता ,  जिसके कारण आंध्र प्रदेश की सरकार ने उन्हें डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया । 2017 में बीडब्ल्यूएफ विश्व चैंपियनशिप का आयोजन स्कॉटलैंड मैं हुआ था वहां पर पी.वी सिंधु अपने शानदार खेल के कारण फाइनल तक पहुंच पाई थी । यह चैंपियनशिप स्कॉटलैंड में हुआ था । यहां पर उनका मुकाबला जापान की नोजोमी ओकुहारा से हुआ इस मुकाबले में पी.वी सिंधु हार गई थी । 

उसके बाद पीवी सिंधु ने अपनी प्रैक्टिस पहले से कहीं ज्यादा करनी शुरू कर दी । अपने पोलीला गोपीचंद अकादमी में पूरा दिन प्रेक्टिस क्या करती । 2017 में ही कोरिया में कोरिया ओपन सुपर सीरीज हुई थी जिसमें फिर से पी.वी सिंधु का मुकाबला जापान की ओकुहरा से हुआ ।  इस फाइनल मैच में उन्होंने अपनी हार का बदला लिया और इस फाइनल मैच में जीत हासिल की और  गोल्ड मेडल जीता । 

और इसके साथ ही पीवी सिंधु कोरिया ओपन में जीत हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनी  । इसी मैच में पीवी सिंधु ने ओकुहारा को केवल 38 मिनट में हरा दिया था । 2018 में नाजिंग विश्व चैंपियनशिप वुमन सिंगल्स  मैं इन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया । 2019 बेसन विश्व चैंपियनशिप वुमन सिंगल्स में गोल्ड मेडल हासिल किया । 2020 में जापान में चल रहे टोक्यो ओलंपिक 2020 में ब्रोंज मेडल हासिल किया था । 1 अगस्त 2001 में हुए ओलंपिक गेम्स में पी.वी सिंधु b.j .he के खिलाफ खेलती हुई ब्रोंज मेडल हासिल किया 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Struggle story of Rohit zinjurke / सेल्समैन का काम करने से लेकर 1 स्टार बनने तक का सफर

 रोहित ने अपने वीडियो से लोगो के सामने अपनी एक अलग पहचान  बनाई है। रोहित attitude , slow motion, expression, and action के वीडियो  बनाते है सात ही इन्ह विडियो को लोगो द्वारा काफी पसंद भी किया जाता है । आज रोहित को अपने टैलेंट के कारण हर कोई पहचानता है साथ ही  आज ये  लोगों के लिए  किसी superstar , film star से कम नही है । लेकिन रोहित का जीवन पहले से ही ऐसा नहीं था उन्होंने ये मुकाम कढ़ी मेहनत और लगन से हासिल किया है ।      बचपन   रोहित का जन्म 9 अप्रैल 2000 सूरत (गुजरात) मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार मैं हुआ ।  परिवार मैं अभी केवल 3 लोग है रोहित  उनकी मां  और उनकी बहन रोहिणी जो की अभी कॉलेज में पढ़ती है  ।आगर बात की जाए उनके पापा की तो उन्होंने अपने परिवार की जिम्मेदारी कभी ली ही  नही , रोहित और उनकी मां से वे अलग रहते थे । हाल ही मैं उनकी मृत्यु हो गई है । रोहित की मां ने रोहित और उनकी बहन रोहिणी को खुद काम करके उन्हें ना सिर्फ पाला  बल्कि पढ़ाया लिखाया भी ।  रोहित ने आपनी स्कूल की पढ़ाई सूरत के स्कूल से  पूरी की। पढ़ाई लिखाई मैं  वो अच्छे खासे थे । रोहित ने ये खुद बताया है कि वे जब  स्कू

nick vujicic success story / हाथ पैर ना होते हुए भी कैसे खड़ी कर दी करोड़ों रुपयों की प्रॉपर्टी ?

आगर जिंदगी में कुछ समस्याएं आए तो बहुत लोग खुदको कोसते रहते है ।  उनमें से कही लोग तो ये भी सोचते है ऐसा मेरे साथ ही क्यू होता है ?  हमेशा मुसीबत मुझे ही क्यू आती है ? मेरी  ही जिंदगी ऐसी क्यों है?  और इसी सोच के कारण   वो हर मान  लेते है ।   समस्याएं  तो जिंदा लोगों के नासिब में  ही आती  है ।  मुर्दों के लिए तो लोग रास्ता भी छोड़ देते है । बचपन  निक वुजिसिक का जन्म 4 दिसंबर 1982  मेलबर्न ,ऑस्ट्रेलिया मैं हुआ उनके पिता का नाम बोरिस्लाव  तथा उनकी मां का नाम हुशांका वुजिसिक उनके पिता अकाउंटेंट का काम करते थे और उनकी मां एक  हॉस्पिटल मैं नर्स का काम करती थी ।  जब निक का जन्म हुआ तो उनको जन्म से ही   हात और पैर नही थे । उनके जन्म के बाद। नर्स उन्हें उनकी मां के पास रखा तो उनकी मां ने उन्हें देखने और छूने से तक माना कर दिया। लेकिन थोड़े समय के बाद उनकी मां ने उनको स्वीकार कर लिया । निक वुजिसिक को दो छोटे पैर विकृत पैर है  मूल रूप से वह पैर के पंजे के सात पैदा हुए थे । लेकिन वह उसका  इस्तेमाल नहीं कर सकते थे । इसीलिए उसका ऑपरेशन करना पड़ा ताकि वो भविष्य मैं किताबो के पृष्ट को मोड़ सके या उसस

sylvester stallone kaise bane actor ? Sylvester Stallone struggle story

 परिचय  सिल्व्हस्टर स्टेलोन  का पूरा नाम माइकल सिल्व्हस्टर गार्डनजिओ  स्टैलॉन है । लेकिन लोग उन्हें सिल्व्हस्टर स्टेलोन के नाम से जानते है ।  वो आज दुनिया के  बेहतरीन  एक्टरों  में से एक माने  जाते  है । उन्होंने यह मुकाम कड़ी मेहनत , कंसिस्टेंसी , और पॉजिटिविटी से यह मुकाम हासिल किया है ।  बचपन  सिल्व्हस्टर स्टेलोन का 6 जुलाई 1946 मैं हुआ । जब उनका जन्म हुआ तब डिलीवरी में कुछ कॉम्प्लिकेशंस हो गए थे , डॉक्टरों  द्वारा डिलीवरी करते समय एक चिमटी का उपयोग करते समय उनकी नस टूट  गई जिसके कारण  उनका आधा चेहरा पैरालाइज हो गया था ।   उनके जन्म होने के कुछ सालो बाद  उनके माता-पिता का किसी कारण तलाक हो गया जिसके कारण उन्हें मां बाप का प्यार ठीक से नहीं मिल पाया । उनके मां-बाप का तलाक होने के बाद उन्होंने फिलाडेल्फिया मैं  नोट्रे डेम नाम की अकादमी और लिंकन हाई स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की । वह पढ़ाई में इतनी अच्छी नहीं थी उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता था । पढ़ाई करने से ज्यादा एक्टिंग करने में ज्यादा इंटरेस्ट था । बचपन से ही एक्टिंग करने का बड़ा शौक था ।  एक्टिंग सिख ली    पढ़ाई में दिलचस्पी ना होने