मिल्खा सिंग भारत के फ्लाइंग सिख के काम से जाने ते है , उन्होंने अपने जीवन मैं कुल 80 प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है , और उनमें से 77 प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की है । मैं बचपन से ही बहुत मुसीबतों से सामना करना पड़ा।
बचपन
मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ मैं स्थित गोविंदपुरा गांव में हुआ था । उस दौरान भारत और पाकिस्तान एक हुआ करता था। मिल्खा सिंह के माता-पता खेती करती थे। मिल्खा सिंह के माता-पिता को कुल 15 संतानों में वह एक थे ।
1947 को भारत जब स्वतंत्र का उत्सव मना रहा था। उसी दौरान भारत और पाकिस्तान का बंटवारा किया गया था।, इसी दौरान होने वाले दंगों में कई परिवार अनाथ हो गए उनमें से मिल्खा सिंह भी एक थे । मिल्खा सिंह ने दंगों में अपने मां बाप और भाई बहन को अपनी आंखों के सामने दंगों में मरते हुए देखा । मिल्खा सिंह तब 15 साल के थे । मिल्खा सिंह दंगों में अपनी जान बचाकर किसी भी तरह से वहां से भाग गए। और उसके बाद जंगल में जाकर छुप गए, उन्होंने जंगल में एक रात गुजारी ।
रात गुजार ने के बाद मिल्खा सिंह पाकिस्तान से दिल्ली जाने वाली ट्रेन मैं महिलाओं के अपरमेंट मैं छिपकर दिल्ली आ गए । दिल्ली आने के बाद वह सभी यात्रियों के साथ करीब 3 हफ्ते तक रेलवे स्टेशन पर ही रहे। वह पर उनको खाना तक नसीब नहीं होता था। इसके बाद जब स्टेशन के लाउडस्पीकर पर कुछ लोगों के नाम पुकारे गए । तो उनमें से उनकी एक बहन भी थी जो शादी के बाद दिल्ली में रहने आई थी । तब मिल्खा सिंह को लेकर चली गई ,अपनी बहन के साथ मिल्खा सिंह किले के पास शरणार्थी शिविर में रहने लगे थे । मिल्खा सिंह ने अपना खर्च निकालने के लिए वहां पर एक दुकान में साफ सफाई का काम किया । और अपनी पढ़ाई भी पूरी की। एक बार मिल्खा सिंह ट्रेन में बिना टिकट के सवारी करते हुए पकड़े गए । इसके लिए उन्हें जेल हुई थी । जमानत के लिए उनकी बहन ने उनके सोने की बलि बेच दी थी ।
जीवन में आया परिवर्तन
कुछ दिनों बाद मिल्खा सिंह ने सेना में भर्ती होने के लिए 1952 मैं आवेदन दिया । मिल्खा सिंग ने वहां पर दौड़ में हिस्सा लिया था । उस दौड़ के दौरान उन्होंने नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया था । जिसके कारण उन्हें ऑस्ट्रेलिया मैं आयोजित ओलंपिक मैं हिस्सा लेने के लिए भेज दिया गया उनके साथ उनके कोच रणवीर सिंह भी थे । लेकिन मिल्खा सिंह ऑस्ट्रेलिया में यह रेस हार गए थे ।
बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
1956 मैं मिल्खा सिंह ने मेलबर्न ओलंपिक में हिस्सा लेकर भारत को जीत दिलाई थी ।
1958 एशिया खेलों में 200 मीटर और 400 मीटर की स्पर्धा कार्डिक , वेल्स , संयुक्त साम्राज्य में कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण जीता था ।
1960 पाकिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल ओलंपिक में मिल्खा सिंह को हिस्सा लेने के लिए कहा गया । लेकिन उनके साथ बचपन मैं होने वाली घटनाओं के कारण पाकिस्तान जाने से मना कर दिया। लेकिन उस समय के पंतप्रधान पंडित जवाहरलाल नेहरू ने समझाने के कारण वह दौड़ में हिस्सा लेने के लिए गए । इस दौड़ में मिल्खा सिंह ने अपनी जीत हासिल की । इस रेस में उनका मुकाबला पाकिस्तान के धावक अब्दुल खालिक कि एक आशिया के सबसे तेज दौड़ने वाले इंसान थे उनसे हुआ था। इस रेस में जीत जीत के कारण मिल्खा सिंह को उस वक्त पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने उन्हें फ्लाइंग सिख की उपाधि दी , उसके बाद मिल्खा सिंह एशिया के सबसे तेज दौड़ने वाले इंसान बन गए । उन्होंने उस समय विश्व रिकॉर्ड तोड़ के अपना नया रिकॉर्ड बना लिया था ।
1962 मैं उन्होंने निर्मल सैनी से शादी कर ली ।
इन्हे दो बच्चे है ,जीव मिल्खा सिंह, सोनिया संवलका
मिल्खा सिंह ने अपनी लाइफ में कुल 80 प्रतियोगिताओं मैं हिस्सा लिया है और उनमें से 77 रेस में जीत हासिल की है। मिल्खा सिंह ने अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष के बल पर इतिहास के पन्नों पर अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा है । मिल्खा सिंह ने अपने जीवन में कई रिकॉर्ड बनाए हैं और साथ ही में अपने करियर में कई पदक भी जीते हैं। इन्होंने the race of my life नाम की एक बुक लिखी हुई है ।
पुरस्कार
1959 मैं मिल्खा सिंह को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।
2001 अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया ।
मृत्यु दिनांक
18जून 2021 को मिल्खा सिंह की मृत्यु हो गई तब मिल्खा सिंह 91 साल के थे ।
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