नवाज़ुद्दीन सिद्धकी बॉलीवुड के बहुत ही जाने-मने एक्टर है उन्होंने अपने खुद के दम पर बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई है । उन्हें एक्टिंग के कारण बहुत ही लोकप्रियता मिली है।
बचपन
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जन्म 19 मई 1974 को मुजफ्फर नगर डिस्ट्रिक , यूपी के छोटे से गांव बुधना मैं एक मिडिल क्लास फैमली मैं हुआ । उनके पिता नवाबुद्विन सिद्दीकी एक किसान थे और उनकी मां मेहरूनिमा गृहणी थी । नवाजुद्दीन को 7 भाई और 2 बहने थी ।
शिक्षा
उन्होंने अपनी प्राथमिक पढ़ाई अपने ही गांव से पूरी की है । नवाजुद्दीन बचपन से ही अपना गांव छोड़ना चाहते थे । उनका कहना था की उनके गांव का माहोल ठीक नहीं था। वहा लोग बस 3 ही चीज जानते थे गेहूं उगाना , गन्ना लगाना और गन चलाना , इसके अलावा लोग कुछ करते ही नही थे । इसलिए नवाजुद्दीन ने अपने आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए गांव छोड़कर हरिद्वार पढ़ने के लिए चले गए गुरुकुल कांगरी यूनिवर्सिटी ऑफ हरिद्वार में अपनी ग्रेजुएशन केमिस्ट्री की पढ़ाई पूरी की ।
केमिस्ट की नोकरी की
अपनी ग्रेजुएशन केमिस्ट्री की पढ़ाई पूरी करने के बाद , नोकरी करने के लिए गुजरात गए और वहा पेट्रोकेमिकल कंपनी मैं केमिस्ट के पद पर नोकरी करने लगे । लेकिन उनका मन उस नोकरी मैं लगता ही नहीं था । उनका अपना सारा मन एक्टर बनने में लगता था । दिन रात बस एक्टर बनने के बारे में ही सोचते रहते थे । और इसी कारण उन्होंने वो नोकरी छोड़ दी ।
एक्टिंग सिखने दिल्ली गए
और अपने घर वालो से कहा की मुझे एक्टिंग सीखनी है । मुझे एक एक्टर बनना है । तो उनके रिश्तेदारों उनसे कहा की पहिले अपनी शक्ल तो देख ले , 5 फिट का पतला दुबला सा तू ऊपर से काला कलूटा और तू एक्टर बनेगा ? लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी एक्टर बनने की जिद्द नहीं छोड़ी , और एक्टिंग सीखने के लिए दिल्ली गए । नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) मैं एडमिशन लेना चाहा लेकिन उस स्कूल में एडमिशन लेने के लिए पहले से ही कुछ एक्टिंग का एक्सपीरियंस होना बहुत ही जरूरी था। जो नवाजुद्दीन के पास नहीं था । इसीलिए उन्होंने दिल्ली मैं ही साक्षी थिएटर मैं एक प्ले ग्रुप ज्वाइन किया , जहा से वो कुछ एक्टिंग का एक्सपीरियंस हासिल कर सके , नवाजुद्दीन छोटे छोटे रोल प्ले करने लगे थे लेकिन उनको उस रोल प्ले के उतने पैसे नहीं मिलते थे की वो अपनी जरूरतों को पूरा कर सके इसलिए उन्होंने वही पर एक ऑफिस मैं वॉचमैन का काम किया, ये काम खत्म होने के बाद नवाजुद्दीन रोल प्ले सिखाते थे । छोटे छोटे रोल प्ले करके एक्सपीरियंस लेने के बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा(NSD) मैं एडमिशन लिया। और वहा पर 3 साल तक एक्टिंग सीखी ओर 1996 मैं नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) मैं पास आउट हो गए । उसके बाद 4 साल दिल्ली मैं ही रहकर सारे थियेटरों में रोल प्ले किया ।
एक्टिंग में करियर
2001 मैं मुंबई आने के बाद उन्होंने (NSD) के सीनियर से मदद मांगी की कुछ दिन के लिए मुझे अपके साथ रहने दो , (NSD) के सीनियर ने नवाजुद्दीन से कहा की तुम्हे हमारे साथ रहने के लिए।,तुम्हे हमारे लिए हर रोज खाना बनाना होगा , नवाजुद्दीन इस के लिए राजी हो गए । क्यू की उन्हें अपना एक्टर बनने का सपना पूरा करना था ।
शुरुवाती दिनों मैं t.v सीरियल मैं काम करने के लिए गए । लेकिन उन्हे सीरियल में छोटे-छोटे रोल प्ले करने के लिए मिले । उसके बाद फिल्मों में काम करने की कोशिश की जहां भी फिल्म की शूटिंग चल रही होती वहां काम की तलाश में जाते थे । नवाजुद्दीन एक बार डायरेक्टर के ऑफिस मैं खड़े हुए थे की उन्हें डायरेक्टर के असिस्टेंट ने उनसे कहा ,क्या है ? तो नवाजुद्दीन ने जवाब दिया मैं एक्टर हु, ये जवाब सुनकर उस असिस्टेंट ने उनसे कहा हुलिया देख अपना, और बाहर निकल दिया । क्यू की फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा चलन था कि एक्टर , हीरो जो होता वो 6 फिट का गोरा ,लंबा, चौड़ा , होता है , ये सब खुबिया नवाजुद्दीन मैं नहीं थी । इसी कारण उन्हें बाहर निकाल दिया था ।
लेकिन उनको खुद के ऊपर एक कॉन्फिडेंस था कि आज नहीं तो कल , 20साल बाद या 30 साल बाद मैं एक एक्टर जरूर बनूंगा । ऐसा उन्हें हर बार लगता था । और अपनी मेहनत करते जा रहे थे।
मुंबई में 4 साल फिल्मों में भिखारी ,अपराधी, धोबी , ऐसे छोटे छोटे रोल करते गए । ऐसे छोटे रोल प्ले करने के बाद उन्हें एक दिन एक बड़ा रोल प्ले करने को मिला वहीं से उनकी जिंदगी बदल गई । Director Anurag keshyap उनके टैलेंट देखते हुए । ब्लैक फ्राईडे मूवी मैं उन्हें मेन एक्टर के रूप में लिया । इस मूवी में नवाजुद्दीन ने अपना रोल अच्छा निभाया और यह रोल लोगों को बेहद पसंद आया। इसके कारण उन्हें आमिर खान प्रोडक्शन के peeli live मूवी में एक पत्रकार का रोल मिला । जिसके कारण नवाजुद्दीन मशहूर हो गए और धीरे-धीरे डायरेक्टर और प्रोड्यूसर उनको अपनी फिल्मों में साइन करने लगे । लोग उनके एक्टिंग के दीवाने होने लगे । और एक के बाद एक सुपरहिट फिल्म बनाते चले गए।
सीख
नवाज़ुद्दीन सिद्धकी से हमें यह सीख मिलती है कि अपने लक्ष्य को पाना है तो मेहनत करो , अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कितनी भी कठिनाई आए उस पर विजय प्राप्त करो, जिद्दी बनो और अपने सपनों को पूरा करो ।
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