Life story of neeraj chopra / struggle story /नीरज चोपड़ा का जीवन परिचय / एक किसान का बेटा कैसे बना गोल्ड मेडलिस्ट
परिचय
नीरज चोपड़ा ट्रैक और फील्ड एथलीट प्रतिस्पर्धा में भाला फेंकने वाले खिलाड़ी है । इन्होंने अब तक कई सारे गोल्ड मेडल जीते हैं 220 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक में 87. 58 मीटर भाला फेंक इन्होंने भारत को गोल्ड मेडल दिलवाया । नीरज विश्व चैंपियनशिप तपस्थली पिक्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं । आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पहला एथलेटिक्स गोल्ड मेडल अंजू बॉबी जॉर्ज ने जीता था । नीरज ने खेल के अलावा इंडियन मिलिट्री में भी अपना योगदान दिया है , इंडियन मिलिट्री में ये एक सुभेदार है ।
जन्म /परिवार
नीरज चोपड़ा का जन्म 24 सितंबर 1997 भारत के हरियाणा राज्य के पानीपत जिले के एक छोटे से खंडरा गांव में हुआ । इनके पिता का नाम सतीश कुमार चोपड़ा है , और मां का नाम सरोज देवी है । इनके पिता खेती बाड़ी का काम करते हैं यानी की किसान है और मां हाउसवाइफ है । नीरज को दो बहनें हैं जिनका नाम संगीता चोपड़ा और सरिता चोपड़ा है ।
शिक्षा
नीरज ने अपनी पब्लिक स्कूल की पढ़ाई हरियाणा से की है , और आगे की पढ़ाई बीबीए कॉलेज से की इसी कॉलेज से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट करके ग्रेजुएशन की डिग्री भी हासिल की है ।
भाला फेंक खेल में रुचि की किस कारण बढ़ी ?
ऐसा कहा जाता है कि नीरज बचपन में काफी मोटे हुआ करते थे जिसके कारण उनके चाचा उनका वेट कम करने के लिए पानीपत स्टेडियम में रनिंग करने के लिए ले जाया करते थे । नीरज ने स्टेडियम पर कुछ लड़कों को भाला फेंक की प्रैक्टिस करते हुए देख उनके मन में भी भला फेक खेल में रुचि बढ़ने लगी ।
उनके पिता करती है कि नीरज मोटा होने के कारण कई सारे लोग उन्हें मोटा के के भी पुकारते थे लेकिन नीरज उनकी तरफ कभी ध्यान नहीं देते थे और अपना पूरा ध्यान खेल में और पढ़ाई में लगाया करते थे । उनके पिता बताते हैं कि नीरज बचपन में बाकी लड़कों के मुकाबले अलग थे ।
भाला फेंक प्रैक्टिस के दौरान हाथ की कलाई टूट गई थी
जब नीरज ने भाला फेंक की प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी थी तब कलाई पर ज्यादा जोर पड़ने के कारण उनकी हाथ की कलाई टूट गई जिसके कारण ने कलाई पर प्लास्टर भी करना पड़ा था । लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और कलाई ठीक होने के बाद दुबारा भाला फेंक की प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी । नीरज लगातार भाला फेंक की प्रैक्टिस किया करते थे ।
15 साल की उम्र में ही जीता पहला गोल्ड मेडल
उनकी भाला फेंक प्रैक्टिस ने तब रंग दिखाया जब उन्होंने 2012 में होने वाले एथलीट में हिस्सा लिया और अपने करियर का पहला गोल्ड मेडल जीता । तब उनकी उम्र मात्र 15 साल की थी । इतनी कम उम्र में ही उन्होंने इतनी बड़ी सफलता हासिल कर ली थी ।
इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की / इंडियन आर्मी में मिली नौकरी ।
2016 में नीरज ने जब अपना करियर इंटरनेशनल लेवल पर साउथ एशियन गेम्स के साथ शुरू किया था । जहां पर उन्होंने 82.23 मीटर के साथ जैवलिन थ्रो मैं नेशनल रिकॉर्ड बनाकर गोल्ड मेडल जीता था । इसी साल u20 चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंक कर दूसरा गोल्ड मेडल जीता था । गोल्ड मेडल हासिल करने के कारण नीरज को इंडियन आर्मी में जूनियर कमीशन ऑफिसर की नौकरी प्राप्त हुई । नीरज ने नौकरी मिलने के बाद बताया कि मेरे परिवार में आज तक किसे भी नौकरी नहीं मिली है । मेरे परिवार में सब खेती-बाड़ी ही करती है , मैं अपने परिवार का पहला इंसान हूं जिसे कोई सरकारी नौकरी मिली है ।
गोल्ड मेडल का रिकॉर्ड
2017 में एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप मैं हिस्सा लेकर अपना तीसरा गोल्ड मेडल जीता । 2018 में ही नीरज ने कॉमनवेल्थ गेम्स में 86.47 तो करके गोल्ड मेडल जीता था । और कॉमनवेल्थ गेम्स में जैवलिन थ्रो मैं गोल्ड मेडल जीतने वावाले पहले इंडियन एथलीट बने । मई 2018 मेहंदी रचनी दोहा डायमंड लिंग में 87.43 मीटर का थ्रो किया और नेशनल रिकॉर्ड को फिर से तोड़ दिया और एक नया रिकॉर्ड बनाया । इसी साल उन्हें अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया ।
अगस्त 2018 में नीरज ने एशियन गेम्स में 88. 06 कहां हो कर के अपने ही नेशनल रिकॉर्ड को फिर से तोड़कर एक नया रिकॉर्ड बनाया। और फिर एक बार गोल्ड मेडल हासिल किया । नीरज का अब तक का बेस्ट परफॉर्मेंस था ।
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